

● मोराटोरियम बढ़ाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा
ऋण लेने वालों को दंडित नहीं किया जा सकता
नई दिल्ली। मोराटोरियम बढ़ाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आगे की सुनवाई गुरुवार को होगी। आज हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंक पुनर्गठन के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन ऋण लेने वालों को दंडित नहीं किया जा सकता है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान लोन ईएमआई स्थगन योजना में ब्याज लगाकर ईमानदार ऋणकर्ताओं को दंडित नहीं कर सकते। याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वकील राजीब दत्ता ने कहा कि जनता इस समय दौर से गुजर रही है। ये योजना सभी के लिए दोहरी मार की तरह है। इससे पहले केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि लोन मोराटोरियम की सुविधा को 2 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। लोन मोराटोरियम की अवधि बढ़ाने की मांग वाले दो याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच सुनवाई कर रही है। मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से बेंच के सामने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे। केंद्र की ओर से मोराटोरियम मामले को लेकर सोमवार को ही हलफनामा जमा कर दिया गया है। इस पर बेंच ने कहा कि उसे अभी हलफनामा नहीं मिला।